कालसर्प दोष अनुष्ठान

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Tuesday, May 25, 2010

                                झूठा है यह जगत निगोड़ा |
रिश्ते नातों की गाडी को, चला रहा माया का घोडा ||
बैठा है तू इस गाडी में, क्यों नहीं इसको छोड़ा |
क्या छोड़ेगा इसको तू जब,बन जाएगा फोड़ा ||
कृष्ण नाम का आश्रय ले ले, अधिक  नहीं तो थोडा |
'व्योम्कृष्ण' जग से रिश्ता अब,हमने ही खुद छोड़ा ||
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                             नाथ तुम मेरी और निहारो |
दीन दयाल  प्रभु तुम हो,मम दीन दशा निस्तारो  ||
तुम ही अंतिम सत्य हो जग के,मायामय जग सारो |
कृपा द्रष्टि  टुक हेरो मो पर,मेरो अंतर्मन कारो ||
एक ही आसरो है या जग में,श्याम मुरलिया वारो  |
'व्योम' कृष्ण या भव सागर ते,हमको पार उतारो ||
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