झूठा है यह जगत निगोड़ा |
रिश्ते नातों की गाडी को, चला रहा माया का घोडा ||
बैठा है तू इस गाडी में, क्यों नहीं इसको छोड़ा |
क्या छोड़ेगा इसको तू जब,बन जाएगा फोड़ा ||
कृष्ण नाम का आश्रय ले ले, अधिक नहीं तो थोडा |
'व्योम्कृष्ण' जग से रिश्ता अब,हमने ही खुद छोड़ा ||
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नाथ तुम मेरी और निहारो |
दीन दयाल प्रभु तुम हो,मम दीन दशा निस्तारो ||
तुम ही अंतिम सत्य हो जग के,मायामय जग सारो |
कृपा द्रष्टि टुक हेरो मो पर,मेरो अंतर्मन कारो ||
एक ही आसरो है या जग में,श्याम मुरलिया वारो |
'व्योम' कृष्ण या भव सागर ते,हमको पार उतारो ||
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